राजस्थान के जनजातीय क्षेत्र (वागड़)की समस्याएं एवं समाधान



गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बाँसवाड़ा

राष्ट्रीय संगोष्ठी




राजस्थान के जनजातीय क्षेत्र (वागड़)की समस्याएं एवं समाधान 


सहायक आचार्या एवं संकाय सदस्य (हिंदी)

डॉ अदिति गौड़

गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय,

 बॉंसवाड़ा, राजस्थान


विद्यार्थी

कपिल कुमार मईडा

एमएससी जूलॉजी

गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बॉंसवाड़ा राजस्थान


विद्यार्थी

प्रितेश बुनकर

एम ए (हिंदी साहित्य)

गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बॉंसवाड़ा राजस्थान





सार:

राजस्थान राज्य क्या दक्षिण भाग का जनजातीय बाहुल्य इलाका जिसमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ ज़िले आते हैं वागड़ क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। आज भारत देश विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है तथा 2047 तक विकसित राष्ट्र की सूची में आने के लिए प्रयासरत है वहीं राजस्थान का वागड़ क्षेत्र आज भी कहानी संदर्भ में पिछड़ा हुआ तथा दयनीय स्थिति में नज़र आता है। प्रस्तुत लेख में राजस्थान सरकार द्वारा जारी SDG (सस्टेनेबल डेवलपमेंट ग्रोथ) रिपोर्ट 2023 में वागड़ क्षेत्र से संबंधित कुछ आंकड़े दिए गए हैं जिनसे वागड़ क्षेत्र के विकास के पैमाने को नापा जा सकता है।

बीज शब्द:

वागड़ क्षेत्र की सामाजिक समस्याएं, वागड़ क्षेत्र की वृद्धि, वागड़ क्षेत्र में उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों की समस्याएं, समाधान, निष्कर्ष

वागड़ क्षेत्र की सामाजिक समस्याएं:


  1. विस्थापन की समस्या: वैसे तो विस्थापन की समस्या हर क्षेत्र में देखी जाती है परंतु बागड़ क्षेत्र में इसका प्रभाव अधिक दिखाई पड़ता है। क्षेत्र में रोजगार के उचित अवसर होने न होने के कारण यहां की अधिकतम युवा आबादी अन्य राज्यों में रोजगार की चाह हेतु विस्थापित होती है तथा अधिकतम संख्या में वहीं बस जाती है।


  1. गरीबी: राजस्थान कि वर्ष 2023 की SDG रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 के मुकाबले वर्ष 2023 में वागड़ क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवारों की संख्या बढ़ी है। वर्ष 2022 में बांसवाड़ा जिले में जहां बीपीएल परिवारों का प्रतिशत 34.86 था वहीं 2023 में यह बढ़कर 39.10% हो गया है। हालांकि डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले में इस प्रतिशत में कमी देखने को मिली है। प्रतापगढ़ में जहां वर्ष 2022 में 36.63% लोग गरीबी रेखा के नीचे थे वहीं वर्ष 2023 में इनकी संख्या 32.25% है दूसरी ओर डूंगरपुर जिले में वर्ष 2022 में जहां 50.11% लोग गरीबी रेखा के नीचे थे वही 2023 में यह संख्या घटकर 42.31% तक रह गई है।


  1. महिलाओं पर अत्याचार: SDG रिपोर्ट राजस्थान के अनुसार बांसवाड़ा में महिलाओं पर अत्याचार की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2022 में जहां एक महिलाओं पर अत्याचार का प्रतिशत 50.58% था वही 2023 में यहां बढ़कर 79.40% हो गया है। डूंगरपुर में यह प्रतिशत वर्ष 2022 में जहां 65.18% था वहीं 2023 में बढ़कर यह 71.4 2% हो गया है तथा प्रतापगढ़ में यह प्रतिशत 2022 में 128.10% था वही 2023 में यह 168.75% हो गया है।


  1. घरेलू हिंसा: बात यदि घरेलू हिंसा की की जाए तो वागड़ क्षेत्र में यह प्रतिशत भी बढ़ा है। वर्ष 2022 में जहां बांसवाड़ा डूंगरपुर और प्रतापगढ़ में यह प्रतिशत क्रमशः 14.85%, 13.18% तथा 41.06% था वहीं वर्ष 2023 में बढ़कर यह क्रमशः 22.46%, 14.26%, तथा 46.09% हो गया है जो की चिंता का विषय है। 


  1. दहेज प्रथा: भारतवर्ष में दहेज प्रथा एक सर्वव्यापी समस्या है तथा वागड़ क्षेत्र में भी इसका प्रभाव है। SDG की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में प्रति एक लाख महिलाओं पर बांसवाड़ा में जहां 15.85% केस दहेज संबंधित समस्याओं के थे वहीं वर्ष 2023 में यह प्रतिशत बढ़कर 22.46% हो गया है। डूंगरपुर में यहां प्रतिशत वर्ष 2022 में 13.55% के मुकाबले बढ़कर वर्ष 2023 में 14.74% हो गया है तथा प्रतापगढ़ में यह प्रतिशत वर्ष 2022 में 41.65% था जो कि 2023 में बढ़कर 47.64% तक हो गया है।


  1. शहरी इलाकों में सड़क दुर्घटना के कारण मृत्यु: प्रतापगढ़ में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर जहां वर्ष 2022 में सड़क दुर्घटना के कारण मृत्यु का प्रतिशत 0.29% था वहीं 2023 में बढ़कर 3.54% तक हो गया। डूंगरपुर में यहां प्रतिशत वर्ष 2022 में 10.28% था जो वर्ष 2023 में बढ़कर 11.71%हो गया। बांसवाड़ा में यह प्रतिशत वर्ष 2022 में 10.15% था जो वर्ष 2023 में बढ़कर 11.16% हो गया।


  1. लापता बच्चे: SDG राजस्थान की रिपोर्ट 2023 के अनुसार बांसवाड़ा जिले में प्रति 100000 बच्चों में 24.17% बच्चे लापता हुए तथा डूंगरपुर जिले में 33.30% तथा प्रतापगढ़ जिले में 24.82%  बच्चे लापता हुए। वर्ष 2022 में यह संख्या बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ जिलों में क्रमशः 0.71%, 8.91% तथा 19.70% थी।


  1. आदिवासियों के विरुद्ध अपराध: वर्ष 2022 में बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ में यह प्रतिशत प्रति 1 लाख लोगों में क्रमशः 0.94%, 1.34% तथा 4.38% था जो कि वर्ष 2023 में बढ़कर  क्रमशः 1.43%,  1.67% तथा 6.21% हो गया है। 


  1. आत्महत्या दर:  आत्महत्या दर बांसवाड़ा जिले में प्रति 100000 जनसंख्या पर वर्ष 2023 में 12.22% रही वही डूंगरपुर जिले में यह 9.20% तथा प्रतापगढ़ जिले में 10.90% हो रही।


  1. संपर्क सड़के एवम् शौचालय:  क्षेत्र में एक गांव को दूसरे गांव से जोड़ने के लिए, गांव को शहर से जोड़ने के लिए संपर्क सड़कों का अभाव है तथा जहां सड़के हैं भी वहां वे टूटी फूटी एवम् बदहाल स्थिति में हैं। सरकार द्वारा सड़के बनाकर छोड़ दी जाती हैं तथा उनके टूट जाने आदि पर उनकी मरम्मत नहीं करवाना सड़क दुर्घटनाओं इत्यादि का कारण बनता है।


वागड़ क्षेत्र में विकास के बिंदु:


  1. जन्म के समय लिंगानुपात में वृद्धि: SDG राजस्थान की रिपोर्ट 2023 के अनुसार बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात वर्ष 2022 में जहां क्रमशः 974, 937 तथा 962 था वहीं यह वर्ष 2023 में बढ़कर 1056, 1029 तथा 1038 हो गया है।


  1. माध्यमिक शिक्षा स्तर पर ड्रॉप आउट दर का घटना: SDG 2023 राजस्थान की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में बांसवाड़ा, डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ जिलों में माध्यमिक स्तर पर ड्रॉप आउट रेट जहां 14.45%, 16.56% तथा 19.77% थी जो वर्ष 2023 में घटकर 10.08%, 10.89% तथा 9.56% हो गई है।


  1. विद्यालयों में बिजली व्यवस्था में सुधार: वर्ष 2022 के मुकाबले बांसवाड़ा डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ जिलों में विद्यालयों में बिजली की व्यवस्था में भी सुधार देखने को मिला है। वर्ष 2022 में इन जिलों में जहां क्रमशः 37.72%, 58.24% तथा 44.39% विद्यालयों में बिजली की सुविधा थी वहीं यह वर्ष 2023 में बढ़कर क्रमश: 45.88%, 84.34% तथा 57.82% हो गई है।


  1. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष वागड़ के क्षेत्र में मेडिकल सुविधाओं में बढ़ोतरी देखने को मिली है। 



  1. जनाधार एवम् बैंकिंग सुविधाओं में वृद्धि:

वर्ष 2022 के मुकाबला बांसवाड़ा डूंगरपुर तथा प्रतापगढ़ जिलों में जन आधार तथा बैंकिंग सुविधाओं में लगभग 5 से 10% की बढ़ोतरी देखने को मिली है। बांसवाड़ा में वर्ष 2022 में जहां यह प्रतिशत 87.50% था वही 2023 में बढ़कर यह 92.30% हो गया है। डूंगरपुर में वर्ष 2022 के मुकाबले वर्ष 2023 में यह प्रतिशत 91.66% से बढ़कर 95.87% हो गया। प्रतापगढ़ में यहां प्रतिशत 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में 89.86% से बढ़कर 95.02%  हो गया। 


वागड़ क्षेत्र में शिक्षा संबंधी विवरण तथा समस्याएं :


  1. उच्च शिक्षण संस्थानों का कम एवम् दूरी पर स्थापित होना: आदिवासी बाहुल्य वागड़ क्षेत्र में उच्च शिक्षा के कम अवसर होना भी एक दुखद समस्या है। यहां के विद्यार्थियों को अधिकतर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर के क्षेत्रों में जाना पड़ता है। यहां अगर शिक्षण संस्थान हैं भी तो वे सामाजिक अंचल और इलाकों से अधिक दूरी पर स्थापित हैं जिनसे आने जाने की समस्या होती है और आने जाने में अत्याधिक समय की हानि होती है जिससे छात्रों में उच्च शिक्षा के प्रति एवम् शिक्षण संस्थानों के प्रति उदासीनता आने लगती है।


  1. सरकारी संस्थानों में प्रायोगिक प्रयोगशालाओं का अभाव:  सरकारी विद्यालयों, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय में प्रायोगिक प्रयोगशालाओं के अभाव के कारण छात्रों को प्रायोगिक शिक्षा प्राप्त करने में दुविधा आती है। जहां कहीं प्रायोगिक लैब हैं वहां पर उचित उपकरणों का अभाव देखा जा सकता है। 


  1. स्थायी फैकल्टी की समस्या:  विश्वविद्यालय में स्थाई फैकल्टी की समस्या होने के कारण अधिकांश शिक्षण अधिकारियों का वर्ष भर बाद बारंबार बदलाव भी विद्यार्थियों की पढ़ाई को प्रभावित करता है।


  1.  सरकार द्वारा परियोजना की शुरुआत तो करना पर उसका क्रियान्वन सही से न करना: उदाहरण के लिए सरकार ने बांसवाड़ा जिले में खेल कूद की प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस इंडोर स्टेडियम बनवाएं तो हैं परंतु उनमें प्रवेश लेने के लिए जो नियमावली है जिसमें अधिकतम फीस का होना, अपनी कीट का ख़ुद खरीदना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक कीट की क़ीमत लगभग 10 से 15 हज़ार के मध्य आती है जिसकी व्यवस्था करना जनजातीय छात्रों के लिए कठिन हो जाता है जिससे वे इन सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं।


  1. हॉस्टल सुविधा: सरकार ने छात्रों के लिए हॉस्टल की सुविधाएं तो की हैं परंतु उनमें व्यवस्थाओं की कमी है जिस कारण उनका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है ।


  1. छात्रवृत्ति का समय पर न मिलाना: विद्यार्थियों को समय पर छात्रवृत्ति न मिलने के कारण वह छात्रवृत्ति से प्राप्त राशि का सदुपयोग नहीं कर पाते हैं।



समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव: 


  1. सरकार को चाहिए कि वह उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करें एवं उन्हें उच्च शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ने के लिए गांव गांव में प्रोत्साहन कार्यक्रम चलाए।


  1. उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रयोग लैब की कमी के कारण प्रयोग कक्षाओं के छात्र प्रयोग शिक्षा से वंचित रह जाते हैं अतः सरकार को चाहिए की उच्च शिक्षण संस्थानों में पप्रयोगशालाओं  का विकास करें तथा आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए।


  1. सरकार विद्यार्थियों को समय पर छात्रवृत्ति उपलब्ध कारण जिससे विद्यार्थी उस राशि का उपयोग अपने शिक्षण को बेहतर बनाने में कर सकें एवं उसका सदुपयोग हो।


  1. सरकार ने जनजातीय लोगों में खेल की भावना को बढ़ाने एवं प्रोत्साहन देने के लिए इनडोर स्टेडियम तो बनाए हैं परंतु उनके लिए आवश्यक किट उपलब्ध नहीं करवाती है जो छात्रों को समय खरीदनी पड़ती है जिसकी कीमत 10000 से 15000 तक होने के कारण अधिकतर छात्र इस सुविधा का उपयोग नहीं कर पाते हैं। अतः सरकार को चाहिए कि वह इन सुविधाओं को भी उपलब्ध कराए।


  1. सरकार आदिवासी क्षेत्रों में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा का महत्व समझाने के लिए कार्यक्रम आयोजित कराए उच्च शिक्षण एवं खोज इत्यादि के लिए प्रोत्साहित करे।


  1. आदिवासी क्षेत्रों में अधिक से अधिक उच्च शिक्षा के संस्थान खोले जाएं तथा उनमें सभी आवश्यक सुविधाओं की पूर्ति की जाए जिससे छात्रों का उच्च शिक्षा के प्रति आकर्षक हो।


निष्कर्ष

प्रस्तुत लेख राजस्थान सरकार की वर्ष 2023 की SDG रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है जिसमें वागड़ क्षेत्र की महत्वपूर्ण समस्याएं एवम् विकास के बिंदुओं को स्पष्ट किया गया है।  SDG का पूरा नाम Sustainable Development Goals है जिनमें कई बिंदुओं के आधार पर प्रत्येक जिले के विकास को नापा जाता है। वर्ष 2023 में राजस्थान के 33 जिलों के विकास से संबंधित इस रिपोर्ट में बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों में 33 जिलों में विकास के स्तर पर क्रमशः 32, 28 तथा 27 वा स्थान प्राप्त किया है जो राज्य में इन क्षेत्रों की दयनीय स्थिति को प्रदर्शित करता है। साथ ही आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की भी चर्चा की गई है। 

इस रिपोर्ट के अनुसार दहेज, महिलाओं पर अत्याचार, गरीबी रेखा, सड़क दुर्घटनाएं इत्यादि में पिछले वर्ष की तुलना में वागड़ क्षेत्र का प्रदर्शन गिरा है वहीं शिक्षा तथा स्वास्थ के क्षेत्र में सुधार होना सुखद प्रतीत होता है। 

रिपोर्ट से अंतिम निष्कर्ष यही निकलता है कि राज्य में अन्य जिलों की तुलना में इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए सरकार को अत्यधिक महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है अन्यथा स्तिथि और भी गंभीर हो सकती है। विभिन्न महत्वपूर्ण इंडेक्स में इस क्षेत्र का पिछड़ा होना दुःख का विषय है। सरकार को अपने बजट में इस क्षेत्र के विकास के लिए अलग से योजनाएं बनानी चाहिए।

इन सब के अलावा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां के विद्यार्थियों को आने वाली समस्याओं का उल्लेख भी इस लेख में किया गया है। उच्च शिक्षण संस्थानों का पहुंच से दूर होना, वहां तक जाने के लिए पर्याप्त परिवहन का ना होना, शहर एवम ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक दूरी पर उच्च शिक्षण संस्थानों का होना, स्थाई फैकल्टी का ना होना, प्रयोगशालाओं का ना होना इत्यादि समस्याएं भी उच्च शिक्षण में बाधा उत्पन्न करती है। सरकार एवम संस्थानों को मिलकर इन समस्याओं पर विचार करना चाहिए एवम् इनको दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए तब ही इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का विकास संभव है।





संदर्भ :

2023 SDG रिपोर्ट राजस्थान

https://sdg.rajasthan.gov.in/RajasthanSDGIndex.aspx









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